भाजपा संगठन मे आदिवासियों की इतनी उपेक्षा, क्यों अभी तक के इतिहास मे पहली बार भाजपा मण्डल मे आदिवासी चेहरा
बालाघाट
इन दिनों भारतीय जनता पार्टी के मण्डल अध्यक्षों की घोषणा होने के बाद जिले मे संगठनों के शीर्ष दावेदारों को लेकर जबरदस्त चर्चा बनी हुई है बात करें अगला भाजपा का जिलाध्यक्ष कौन होगा इसको लेकर अटकले तेज हो गई है और दावेदारों मे वर्तमान जिलाध्यक्ष रामकिशोर काँवरे, आनंद कोचड़, मिडिया प्रभारी अभय कोचर और बैहर के पूर्व विधायक भगत नेताम के नाम की दावेदारी बताई जा रही है, जिसमे भगत नेताम पहली बार आदिवासी चेहरे के रूप मे सामने आया है वैसे और आदिवासी चेहरे है भाजपा मे जैसे की गुड्डा मरकाम,लेकिन अभी तक जो भाजपा जिलाध्यक्ष रहे है उनकी फेहरिस्त की बात करें तो एक बात हैरान करने वाली है की आदिवासी बाहुल्य बालाघाट मे कई जिलाध्यक्ष बने है लेकिन आदिवासी समाज से बालाघाट मे भाजपा जिलाध्यक्ष नहीं बनाया जाना कंही न कंही आदिवासी समाज का मनोबल कम करने वाला मना जा रहा है इस बारे मे आदिवासी संगठन के पदाधिकारी भी मानते है की चुनाव से पूर्व मध्यप्रदेश और खासकर जबलपुर संभाग मे आदिवासी वर्ग को साधने के लिए भाजपा कांग्रेस के द्वारा बड़ी जोर आजमाइस देखी जाती है ऐसे मे बात करें भारतीय जनता पार्टी की तो यंहा बालाघाट मे भाजपा संगठन के शीर्ष नेतृत्व मे कंही न कंही आदिवासियों को नेतृत्व नहीं दीया गया है जो कौतुहाल का विषय भी बनता जा रहा है जिसमे सबसे बड़ा सवाल यह है की भाजपा जिलाध्यक्ष पद के लिए अभी तक हाशिये मे रहे आदिवासी समाज मे योग्य चेहरे को जिलाध्यक्ष बनाये जाने की अपेक्षा जोर पकड़ रही है जो की आदिवासी ही नहीं बल्कि अन्य समाज के लिए भी चर्चा का विषय है,वंही आदिवासी समाज सेवियों के अनुसार बात करें कांग्रेस पार्टी की तो वर्तमान मे बैहर विधायक संजय उइके को कांग्रेस जिलाध्यक्ष बनाया गया है, इसका प्रतिसाद बालाघाट जिले मे चार कांग्रेस विधायक की जीत के रूप मे भी देखने को मिला है और भाजपा को नुकसान होता हुआ ऐसे मे भाजपा को जिलाध्यक्ष पद के लिए आदिवासी चेहरे को भूनाना बेहद जरुरी भी हो जाता है नहीं तो बालाघाट जिले मे आदिवासी समाज मे नाराजगी देखी जा सकती है. इसका दूसरा कारण यह भी है की हाल ही मे बालाघाट जिले मे जारी किये गए 36 मण्डल अध्यक्षों की सूची मे एकमात्र गड़ी इलाके की सुश्री सोनाली कुसराम को पहली बार मण्डल अध्यक्ष बनाया गया है जिसे आदिवासी बाहुल्य जिले के हिसाब से नाकाफी समझा जा रहा है,भजपा जिलाध्यक्ष के पद के लिए वर्तमान मे ऐसे कई आदिवासी चेहरे है जो वर्षो से पार्टी की रीती नीति के साथ जुड़कर पार्टी को अपने अपने क्षेत्र मे मजबूत करने का काम किये है और छोटे बड़े चुनाव मे बेहतर परिणाम लाने के साथ संगठन बल दिए है भाजपा मे अपनी उम्र के कई वर्ष खपाने आदिवासीयों को मण्डल अध्यक्ष से लेकर जिलाध्यक्ष बनाये जाने पर एक बेहतर प्रयोग की शुरुवात हो सकती है जो अभी तक देखने मे नहीं आया है हालांकि भाजपा जिलाध्यक्ष पद के लिए पार्टी अलाकमान का अपना एक अलग पैमाना होता है, बावजूद इसके देखना है की भाजपा मे वर्षो से संगठन के साथ काम करने वाले चेहरे को अगला पार्टी जिलाध्यक्ष के लिए किसे योग्य माना जाता है और क्या इस बार आदिवासी चेहरे के रूप मे नया जिलाध्यक्ष देखने मिल सकता है बहरहाल यह सब जन चर्चाओ मे है आने वाले समय मे जल्द ही भाजपा संगठन मे तस्वीरें स्पस्ट हो जाएगी