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द्वारिकाधीश मंदिर में गोवर्धन पूजा को उमड़े श्रद्धालु, ठाकुर जी को भोग और लगे जयकारे

मथुरा। कृष्ण की नगरी मथुरा में दीपावली का पर्व बृहस्पतिवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. पुष्टिमार्ग संप्रदाय के मंदिरों में शुक्रवार को गोवर्धन पूजा विधि विधान से की जा रही है. दूर-दराज से पहुंचे श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर अन्नकूट का भोग ठाकुर जी को लगा रहे हैं. शनिवार को गिरिराज जी की नगरी गोवर्धन में पूजा होगी.

पुष्टिमार्ग संप्रदाय के मंदिर में गोवर्धन पूजा

द्वारिकाधीश पुष्टिमार्ग संप्रदाय के मंदिर में शुक्रवार सुबह विधि विधान से गोवर्धन पूजा की गई. अनेक प्रकार के व्यंजनों का भोग ठाकुर जी को लगाया गया. मंदिर प्रांगण में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज बनाए गए. सबसे पहले दुग्ध अभिषेक के साथ पूजा की गई. बाद में अन्नकूट का भोग लगाया गया. दूर दराज से मथुरा पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना के बाद भगवान द्वारिकाधीश के दर्शन किए. गिरिराज जी की नगरी गोवर्धन में अन्नकूट का पर्व शनिवार को मनाया जाएगा.

ब्रज में अन्नकूट का महत्व : मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ मथुरा का राजा कंस ग्वालों पर अत्याचार करता था. दुखी होकर ग्वाल बाल श्रीकृष्ण से कहते थे ब्रज की रक्षा करने वाला कोई नहीं है क्या. इसके बाद कृष्ण और बलराम ने कंस का वध कर दिया. इसके बाद ब्रज में खुशहाली आ गई. तब से सभी ग्वाल बाल कहने लगे कि आज से हम सब लोग आपकी (श्रीकृष्ण) की पूजा करेंगें. इस बात से इंद्रदेव क्रोधित हो गए और पूरे ब्रज क्षेत्र में घनघोर बारिश करने लगे. सात दिनों तक बारिश के प्रकोप से ग्वाल बाल भयभीत हो गए. तब श्नीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कन्नी अंगली पर धारण कर सबकी रक्षा की. खुश होकर बृजवासियों ने कन्हैया को अनेक प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया. तभी से यह परंपरा चली आ रही है. दिवाली के दूसरे दिन अन्नकूट का भोग ठाकुर जी को लगाया जाता है.

राकेश तिवारी ने बताया भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के घमंड को तोड़ा और अपने ग्वाल वालों की रक्षा की. पुष्टिमार्ग संप्रदाय के सभी मंदिरों में गोवर्धन पूजा मनाई जा रही है. भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए सभी ग्वाल वालों ने अपने हाथों से अनेक प्रकार के व्यंजन तैयार करके भोग लगाया गया था. तभी से यह परंपरा चली आ रही है. जिसे अन्नकूट गोवर्धन पूजा कहा जाता है.

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